गंगा को विश्व धरोहर घोषित करने को किया मंथन

उत्तरकाशी। विश्वनाथ संस्कृत स्नातकोत्तर महाविद्यालय में गंगा विश्व धरोहर घोषित हो विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें छात्रों एवं शिक्षकों ने गंगा की स्वच्छता व निर्मलता के लिए सुझाव दिये व गंगा सफाई की। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. शम्भू प्रसाद नौटियाल ने कहा कि गंगा विश्व धरोहर घोषित हो का उद्देश्य गंगा नदी को निर्मल तथा नैसर्गिक जैव विविधता को संरक्षित करने के प्रति आम लोगों में विशिष्ट जागरूकता पैदा करना है। क्योंकि भारतीय धर्मग्रंथों में ही नहीं गंगा का सम्मान सभी धर्मों और पंथों द्वारा किया जाता है। यह सिर्फ नदी ही नहीं बल्कि एक सांस्कृतिक विरासत है। गंगा के जल में कुछ खास लवण और जड़ीबूटियां घुल जाती हैं। जिससे गंगा जल अन्य पानी के मुकाबले कहीं ज्यादा शुद्ध और औषधीय गुणों से परिपूर्ण हो जाता है। गंगा के प्रति लोगों की आस्था, विश्वास, महत्ता और प्रामाणिकता को देखते हुए इसे विश्व धरोहर में शामिल होना ही चाहिए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजसेवी हरि सिंह राणा ने कहा कि भारतीय संस्कृति में गंगा का काफी महत्व है व प्रत्येक मांगलिक कार्यों में गंगा जल का अहम योगदान रहा है, यहां तक कि शरीर छोड़ते समय भी गंगाजल और तुलसी दल मुख में डालते हैं और संस्कार के बाद अस्थियों का विसर्जन गंगा जी में करते हैं। विशिष्ट अतिथि सुभाष चन्द्र नौटियाल ने कहा कि हिंदू धर्म में गंगाजल को अमृत की उपाधी दी गई है। जन्म से मरण तक हर पूजनीय कर्म में गंगाजल का उपोयग आवश्यक माना गया है। भगवान के चरणामृत के रूप में भी भी गंगाजल का उपयोग किया जाता है।