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144 वें अति दुर्लभ महाकुंभ में विश्व के लिए वरदान है गंगा विषय पर संगोष्ठी व गंगा संवाद

144 वें अति दुर्लभ महाकुंभ में विश्व के लिए वरदान है गंगा विषय पर संगोष्ठी व गंगा संवाद

संकल्प संदेश प्रयागराज धरती पर मा गंगा किसी वरदान से कम नहीं हैं। वह सतयुग से लेकर आज एक करोड़ों श्रद्धालुओं को शांति, मुक्त, भक्ति व आनंद प्रदान करती आ रही है। महाकुंभ स्थल प्रयागराज में गंगा कथा वक्ता आचार्य प्रदीप कोठारी ने करा कि गंगा सिर्फ एक नदी मात्र नहीं है, बल्कि मां के रूप में पूजी जाती है। भारत की पहचान की मां गंगा से है, जो युगों-युगे से मानवीय चेतना का संचार कर रही है। मगा केवल जल वा ही नहीं जीवन का भी होन भी है मां गंगा में मनुष्य को ल्म तो नहीं दिया, लेकिन जैवन तो दिया ही है। हमारी आत्मा को अपने आस्था रूपी जल से हमेशा पवित्र किया है। मां गंगा भारतीय संस्कृति की सरक्षक व संवाहक भी है। इसलिए मां गंगा की पावनता स्वच्छता के लिए प्रत्येक बद्धान्वित जनों को आगे आना होगा। गंगा विश्व धरोहर मंच के संमोजक की शम्भू प्रसाद नौटियाल ने कहा गंगा गंगा के पवित्र घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालु सोचते है जीते-जी एक बार गंगा जी के जाल में एक डूबकी एक आचमन ही मिल जाए। लेकिन गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के हर भारतीय को संकल्प लेता होगा व गंगा को विश्य धरोहर भोषित करने के लिए प्रयास करना होगा। इस अवसर पर अनेकों राज्यों से आये हुए लोगों व महाकुम में सेवायें प्रदान करने वाले रेडकास कायं नेविगों को गंगा अमृत रत्न सम्मान भी दिया गया। लोगों को गंगा विश्व परोहर मंत्र के सदस्य मनोज भाकुनी, रश्मि उनियाल, राजेश जोशी, भवतोष शमी की पै. के सर्ग हरीह बन्द्र शर्मा एसपी नौटियाल सरोजिनी मंजू सारिका केष्टयाल, जगदीश सिंह चवत आदि उपस्थित थे।

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